google-site-verification=U1x2sF8F1fWAso-di-r1dF0d4QDWNKVObvON9oeWTl8 Rahe Najat : Surah Al Imran in Hindi

Tuesday, July 7, 2020

Surah Al Imran in Hindi

Quran Sharif Surah No 3 Surah Al Imran in Hindi

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सूरए आले इमरान मदीना में नाज़िल हुआ और इसमे दो सौ आयते और बीस रूकुअ है

अलिफ़ लाम मीम अल्लाह ही वह (अल्लाहहै जिसके सिवा कोई क़ाबिले परस्तिश नहीं है वही ज़िन्दा (औरसारे जहान का सम्भालने वाला है

( रसूलउसी ने तुम पर बरहक़ किताब नाज़िल की जो (आसमानी किताबें पहले सेउसके सामने मौजूद हैं उनकी तसदीक़ करती है और उसी ने उससे पहले लोगों की हिदायत के वास्ते तौरेत  इन्जील नाज़िल की
और हक़  बातिल में तमीज़ देने वाली किताब (कु़राननाज़िल की बेशक जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों को  माना उनके लिए सख़्त अज़ाब है और अल्लाह हर चीज़ पर ग़ालिब बदला लेने वाला है
बेशक अल्लाह पर कोई चीज़ पोशीदा नहीं है (ज़मीन में  आसमान में
वही तो वह अल्लाह है जो माँ के पेट में तुम्हारी सूरत जैसी चाहता है बनाता हे उसके सिवा कोई माबूद नहीं
वही (हर चीज़ परग़ालिब और दाना है ( रसूलवही (वह अल्लाहहै जिसने तुम पर किताब नाज़िल की उसमें की बाज़ आयतें तो मोहकम (बहुत सरीहहैं वही (अमल करने के लिएअसल ( बुनियादकिताब है और कुछ    (आयतें)  मुतशाबेह (मिलती जुलती) (गोल गोल जिसके मायने में से पहलू निकल सकते हैंबस जिन लोगों के दिलों में कज़ी है वह उन्हीं आयतों के पीछेपड़े रहते हैं जो मुतशाबेह हैं ताकि फ़साद बरपा करें और इस ख़्याल से कि उन्हें मतलब पर ढाले लें हालाँकि  अल्लाह और उन लोगों के सिवा जो इल्म से बड़े पाए पर फ़ायज़ हैं उनका असली मतलब कोई नहीं जानता 
वह  लोग  (ये भीकहते हैं कि हम उस पर ईमान लाए (यहसब (मोहकम हो या मुतशाबेहहमारे परवरदिगार की तरफ़ से है और अक़्ल वाले ही समझते हैं
(और दुआ करते हैं हमारे पालने वाले हमारे दिल को हिदायत करने के बाद डावाडोल  कर और अपनी बारगाह से हमें रहमत अता फ़रमा इसमें तो शक ही नहीं कि तू बड़ा देने वाला है
 हमारे परवरदिगार बेशक तू एक  एक दिन जिसके आने में शुबह नहीं लोगों को इक्ट्ठा करेगा (तो हम पर नज़रे इनायत रहेबेशक अल्लाह अपने वायदे के ख़िलाफ़ नहीं करता
बेशक जिन लोगों ने कुफ्र इख़्तेयार किया उनको अल्लाह (के अज़ाबसे  उनके माल ही कुछ बचाएंगे उनकी औलाद (कुछ काम आएगीऔर यही लोग जहन्नुम के ईधन होंगे

 (उनकी भीक़ौमे फ़िरऔन और उनसे पहले वालों की सी हालत है कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया तो खुदा ने उन्हें उनके गुनाहों की पादाश {सज़ामें ले डाला और अल्लाह सख़्त सज़ा देने वाला है
( रसूलजिन लोगों ने कुफ्र इख़्तेयार किया उनसे कह दो कि बहुत जल्द तुम (मुसलमानो के मुक़ाबले मेंमग़लूब {हारे हुएहोंगे और जहन्नुम में इकट्ठे किये जाओगे और वह (क्याबुरा ठिकाना है
बेशक तुम्हारे (समझाने केवास्ते उन दो (मुख़ालिफ़ गिरोहों में जो (बद्र की लड़ाई मेंएक दूसरे के साथ गुथ गए (रसूल की सच्चाई कीबड़ी भारी निशानी है कि एक गिरोह अल्लाह की राह में जेहाद करता था और दूसरा काफ़िरों का जिनको मुसलमान अपनी आँख से दुगना देख रहे थे (मगर अल्लाह ने क़लील ही को फ़तह दीऔर अल्लाह अपनी मदद से जिस की चाहता है ताईद करता है बेशक आँख वालों के वास्ते इस वाक़ये में बड़ी इबरत है
दुनिया में लोगों को उनकी मरग़ूब चीज़े (मसलनबीवियों और बेटों और सोने चाँदी के बड़े बड़े लगे हुए ढेरों और उम्दा उम्दा घोड़ों और मवेशियों ओर खेती के साथ उलफ़त भली करके दिखा दी गई है ये सब दुनयावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ाफ़ायदे हैं और (हमेशा काअच्छा ठिकाना तो अल्लाह ही के यहां है
( रसूलउन लोगों से कह दो कि क्या मैं तुमको उन सब चीज़ों से बेहतर चीज़ बता दू (अच्छा सुनोजिन लोगों ने परहेज़गारी इख़्तेयार की उनके लिए उनके परवरदिगार के यहां (बेहिश्तके वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं (और वहहमेशा उसमें रहेंगे और उसके अलावा उनके लिए साफ सुथरी बीवियां हैं और (सबसे बढ़करअल्लाह की ख़ुशनूदी है और अल्लाह (अपनेउन बन्दों को खूब देख रहा हे जो दुआऐं मांगा करते हैं
कि हमारे पालने वाले हम तो (बेताम्मुलइमान लाए हैं बस तू भी हमारे गुनाहों को बख़्श दे और हमको दोज़ख़ के अज़ाब से बचा
(यही लोग हैंसब्र करने वाले और सच बोलने वाले और (अल्लाह केफ़रमाबरदार और (अल्लाह की राह मेंख़र्च करने वाले और पिछली रातों में (अल्लाह से तौबाइस्तग़फ़ार करने वाले
ज़रूर अल्लाह और फ़रिश्तों और इल्म वालों ने गवाही दी है कि उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं है और वह अल्लाह अद्ल  इन्साफ़ के साथ (कारख़ानाए आलम कासम्भालने वाला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वही हर चीज़ परग़ालिब और दाना है (सच्चादीन तो अल्लाह के नज़दीक यक़ीनन (बस यहीइस्लाम है
और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख़्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्रमालूम हो जाने के बाद (ही क्या हैऔर जिस शख़्स ने अल्लाह की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन अल्लाह (उससेबहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है
( रसूलबस अगर ये लोग तुमसे (ख़्वाह मा ख़्वाहहुज्जत करे तो कह दो मैंने अल्लाह के आगे अपना सरे तस्लीम ख़म कर दिया है और जो मेरे ताबे है (उन्होंनेभीऔर  रसूल तुम एहले किताब और जाहिलों से पूछो कि क्या तुम भी इस्लाम लाए हो (या नहीबस अगर इस्लाम लाए हैं तो बेख़टके राहे रास्त पर  गए और अगर मुँह फेरे तो ( रसूलतुम पर सिर्फ़ पैग़ाम (इस्लामपंहुचा देना फ़र्ज़ है (बसऔर अल्लाह (अपने बन्दोंको देख रहा है
बेशक जो लोग अल्लाह की आयतों से इन्कार करते हैं और नाहक़ पैग़म्बरों को क़त्ल करते हैं और उन लोगों को (भीक़त्ल करते हैं जो (उन्हेंइन्साफ़ करने का हुक़्म करते हैं तो ( रसूलतुम उन लोगों को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो
यही वह (बदनसीबलोग हैं जिनका सारा किया कराया दुनिया और आख़ेरत (दोनोंमें अकारत गया और कोई उनका मददगार नहीं
( रसूलक्या तुमने (उलमाए यहूदके हाल पर नज़र नहीं की जिनको किताब (तौरेतका एक हिस्सा दिया गया था (अबउनको किताबे अल्लाह की तरफ़ बुलाया जाता है ताकि वही (किताबउनके झगड़ें का फैसला कर दे इस पर भी उनमें का एक गिरोह मुँह फेर लेता है और यही लोग रूगरदानी {मुँह फेरनेकरने वाले हैं
ये इस वजह से है कि वह लोग कहते हैं कि हमें गिनती के चन्द दिनों के सिवा जहन्नुम की आग हरगिज़ छुएगी भी तो नहीं जो इफ़तेरा परदाज़ी ये लोग बराबर करते आए हैं उसी ने उन्हें उनके दीन में भी धोखा दिया है
फ़िर उनकी क्या गत होगी जब हम उनको एक दिन (क़यामतजिसके आने में कोई शुबहा नहीं इक्ट्ठा करेंगे और हर शख़्स को उसके किए का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी
( रसूलतुम तो यह दुआ मांगों कि  अल्लाह तमाम आलम के मालिक तू ही जिसको चाहे सल्तनत दे और जिससे चाहे सल्तनत छीन ले और तू ही जिसको चाहे इज़्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे हर तरह की भलाई तेरे ही हाथ में है बेशक तू ही हर चीज़ पर क़ादिर है
तू ही रात को (बढ़ा केदिन में दाख़िल कर देता है (तोरात बढ़ जाती है और तू ही दिन को (बढ़ा केरात में दाख़िल करता है (तो दिन बढ़ जाता हैतू ही बेजान (अन्डा नुत्फ़ा वगै़रहसे जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान नुत्फ़ा (वगै़रहानिकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है
मोमिनीनमोमिनीन को छोड़ के काफ़िरों को अपना सरपरस्त  बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे अल्लाह से कुछ सरोकार नहीं मगर (इस कि़स्म की तदबीरों सेकिसी तरह उन (के शरसे बचना चाहो तो (ख़ैरऔर अल्लाह तुमको अपने ही से डराता है और अल्लाह ही की तरफ़ लौट कर जाना है
 रसूल तुम उन (लोगों सेकह दो किजो कुछ तुम्हारे दिलों में है तो ख़्वाह उसे छिपाओ या ज़ाहिर करो (बहरहालअल्लाह तो उसे जानता है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में वह (सब कुछजानता है और अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है
(और उस दिन को याद रखोजिस दिन हर शख़्स जो कुछ उसने (दुनिया मेंनेकी की है और जो कुछ बुराई की है उसको मौजूद पाएगा (औरआरज़ू करेगा कि काश उस की बदी और उसके दरमियान में ज़मानए दराज़ (हाएलहो जाता और अल्लाह तुमको अपने ही से डराता है और अल्लाह अपने बन्दों पर बड़ा शफ़ीक़ और (मेहरबान भीहै
( रसूलउन लोगों से कह दो कि अगर तुम अल्लाह को दोस्त रखते हो तो मेरी पैरवी करो कि अल्लाह (भीतुमको दोस्त रखेगा और तुमको तुम्हारे गुनाह बख़्श देगा और खुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
( रसूलकह दो कि अल्लाह और रसूल की फ़रमाबरदारी करो फिर अगर यह लोग उससे सरताबी करें तो (समझ लें किअल्लाह काफ़िरों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता
बेशक अल्लाह ने आदम और नूह और ख़ानदाने इबराहीम और खानदाने इमरान को सारे जहान से बरगुज़ीदा किया है
बाज़ की औलाद को बाज़ से और अल्लाह (सबकीसुनता (और सब कुछजानता है  
( रसूल वह वक़्त याद करोजब इमरान की बीवी ने (अल्लाह सेअज्र की कि  मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम सेआज़ाद करके तेरी नज़्र करती हॅू तू मेरी तरफ़ से (ये नज़्र कुबूल फ़रमा तू बेशक बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है
फिर जब वह बेटी जन चुकी तो (हैरत सेकहने लगी  मेरे परवरदिगार (मैं क्या करूमैं तो ये लड़की जनी हूँ और लड़का लड़की के ऐसा (गया गुज़रानहीं होता हालाकि उसे कहने की ज़रूरत क्या थी जो वे जनी थी अल्लाह उस (की शान  मरतबासे खूब वाक़िफ़ था और मैंने उसका नाम मरियम रखा है और मैं उसको और उसकी औलाद को शैतान मरदूद (के फ़रेबसे तेरी पनाह में देती हॅू ( 
तो उसके परवरदिगार ने (उनकी नज़्रमरियम को ख़ुशी से कु़बूल फ़रमाया और उसकी नशो  नुमा {परवरिशअच्छी तरह की और ज़करिया को उनका कफ़ील बनाया जब किसी वक़्त ज़करिया उनके पास (उनकेइबादत के हुजरे में जाते तो मरियम के पास कुछ  कुछ खाने को मौजूद पाते तो पूछते कि  मरियम ये (खानातुम्हारे पास कहां से आया है तो मरियम ये कह देती थी कि यह खुदा के यहाँ से (आयाहै बेशक अल्लाह जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है  

(ये माजरा देखते हीउसी वक़्त ज़करिया ने अपने परवरदिगार से दुआ कि और अर्ज़ की  मेरे पालने वाले तू मुझको (भीअपनी बारगाह से पाकीज़ा औलाद अता फ़रमा बेशक तू ही दुआ का सुनने वाला है  
अभी ज़करिया हुजरे में खड़े (येदुआ कर ही रहे थे कि फ़रिश्तों ने उनको आवाज़ दी कि अल्लाह तुमको यहया (के पैदा होनेकी खुशख़बरी देता है जो जो कलेमतुल्लाह (ईसाकी तस्दीक़ करेगा और (लोगों कासरदार होगा और औरतों की तरफ़ रग़बत  करेगा और नेको कार नबी होगा
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालाकि मेरा बुढ़ापा  पंहुचा और (उसपरमेरी बीवी बांझ है (अल्लाह नेफ़रमाया इसी तरह अल्लाह जो चाहता है करता है  
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मेरे इत्मेनान के लिए कोई निशानी मुक़र्रर फ़रमा इरशाद हुआ तुम्हारी निशानी ये है तुम तीन दिन तक लोगों से बात  कर सकोगे मगर इशारे से और (उसके शुक्रिये मेंअपने परवरदिगार की अकसर याद करो और रात को और सुबह तड़के (हमारीतसबीह किया करो
और वह वाकि़या भी याद करो जब फ़रिश्तों ने मरियम से कहा मरियम तुमको अल्लाह ने बरगुज़ीदा किया और (तमामगुनाहों और बुराइयों से पाक साफ़ रखा और सारे दुनिया जहान की औरतों में से तुमको मुन्तख़िब किया है
(तो मरियम इसके धन्यवाद से मैं अपने परवरदिगार की फ़रमाबदारी करूं सजदा और रूकूउ करने वालों के साथ रूकूउ करती रहो
( रसूलये ख़बर गै़ब की ख़बरों में से है जो हम तुम्हारे पास ‘वही’ के ज़रिए से भेजते हैं ( रसूलतुम तो उन सरपरस्ताने मरियम के पास मौजूद  थे जब वह लोग अपना अपना क़लम दरिया में बतौर क़ु़रआ के डाल रहे थे (देखेंकौन मरियम का कफ़ील बनता है और  तुम उस वक़्त उनके पास मौजूद थे जब वह लोग आपस में झगड़ रहे थे
(वह वाकि़या भी याद करोजब फ़रिश्तों ने (मरियमसे कहा  मरियम अल्लाह तुमको सिर्फ़ अपने हुक्म से एक लड़के के पैदा होने की खुशख़बरी देता है जिसका नाम ईसा मसीह इब्ने मरियम होगा (औरदुनिया और आखे़रत (दोनोंमें बाइज़्ज़त (आबरूऔर अल्लाह के मुक़र्रब बन्दों में होगा
और (बचपन मेंजब झूले में पड़ा होगा और बड़ी उम्र का होकर (दोनों हालतों में यकसालोगों से बाते करेगा और नेको कारों में से होगा
(ये सुनकर मरियम ताज्जुब सेकहने लगी परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर होगा हालांकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं इरशाद हुआ इसी तरह अल्लाह जो चाहता है करता है जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस कह देता है ‘हो जा’ तो वह हो जाता है  
और ( मरयिमअल्लाह इसको (तमामकिताबे आसमानी और अक़्ल की बातें और (ख़ासकरतौरेत  इन्जील सिखा देगा
और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यू कहेगा किमैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत कीयह निशानी लेकर आया हॅू कि मैं गुंधी हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछदम करूंगा तो वो अल्लाह के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं अल्लाह ही के हुक्म से मादरज़ाद {पैदायशीअॅधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सबतुमको बता दूगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत कीबड़ी निशानी है

और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हॅू और (मेरे आने कीएक ग़रज़ यह (भीहै कि जो चीजे़ तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे अल्लाह सेहलाल कर दू और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत कीनिशानी लेकर तुम्हारे पास आया हॅू

बस तुम अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो बेशक अल्लाह ही मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है
बस उसकी इबादत करो (क्योंकियही नजात का सीधा रास्ता है फिर जब ईसा ने (इतनी बातों के बाद भीउनका कुफ्ऱ (पर अड़े रहनादेखा तो (आख़िरकहने लगे कौन ऐसा है जो अल्लाह की तरफ़ होकर मेरा मददगार बने (ये सुनकरहवारियों ने कहा हम अल्लाह के तरफ़दार हैं और हम अल्लाह पर ईमान लाए
और (ईसा से कहाआप गवाह रहिए कि हम फ़रमाबरदार हैं
और अल्लाह की बारगाह में अर्ज़ की कि  हमारे पालने वाले जो कुछ तूने नाज़िल किया हम उसपर ईमान लाए और हमने तेरे रसूल (ईसाकी पैरवी इख़्तेयार की बस तू हमें (अपने रसूल केगवाहों के दफ़्तर में लिख ले
और यहूदियों (ने ईसा सेमक्कारी की और अल्लाह ने उसके दफ़ईया (तोड़की तदबीर की और अल्लाह सब से बेहतर तदबीर करने वाला है (वह वक़्त भी याद करोजब ईसा से अल्लाह ने फ़रमाया  ईसा मैं ज़रूर तुम्हारी ज़िन्दगी की मुद्दत पूरी करके तुमको अपनी तरफ़ उठा लूगा और काफ़िरों (की ज़िन्दगीसे तुमको पाक  पाकीज़ रखुंगा और जिन लोगों ने तुम्हारी पैरवी की उनको क़यामत तक काफ़िरों पर ग़ालिब रखुंगा फिर तुम सबको मेरी तरफ़ लौटकर आना है
तब (उस दिनजिन बातों में तुम (दुनियामें झगड़े करते थे (उनकातुम्हारे दरमियान फ़ैसला कर दूंगा बस जिन लोगों ने कुफ्र इख़्तेयार किया उनपर दुनिया और आख़िरत (दोनों मेंसख़्त अज़ाब करूंगा और उनका कोई मददगार  होगा  
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छेकाम किए तो अल्लाह उनको उनका पूरा अज्र  सवाब देगा और अल्लाह ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता  
( रसूलये जो हम तुम्हारे सामने बयान कर रहे हैं कु़दरते अल्लाह की निशानियाँ और हिकमत से भरे हुये तज़किरे हैं
अल्लाह के नज़दीक तो जैसे ईसा की हालत वैसी ही आदम की हालत कि उनको को मिट्टी का पुतला बनाकर कहा कि ‘हो जा’ बस (फ़ौरन हीवह (इन्सानहो गया
( रसूल ये हैहक़ बात (जोतुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (बताई जाती हैतो तुम शक करने वालों में से  हो जाना
फिर जब तुम्हारे पास इल्म (कुरान चुका उसके बाद भी अगर तुम से कोई (नसरानीईसा के बारे में हुज्जत करें तो कहो कि (अच्छा मैदान मेंआओ हम अपने बेटों को बुलाएं तुम अपने बेटों को और हम अपनी औरतों को (बुलाएऔेर तुम अपनी औेरतों को और हम अपनी जानों को बुलाएं ओर तुम अपनी जानों को
उसके बाद हम सब मिलकर (खुदा की बारगाह मेंगिड़गिड़ाएं और झूठों पर अल्लाह की लानत करें ( रसूलये सब यक़ीनी सच्चे वाक़यात हैं और अल्लाह के सिवा कोई माबूद (क़ाबिले परसतिशनहीं है
और बेशक अल्लाह ही सब पर ग़ालिब और हिकमत वाला है
फिर अगर इससे भी मुँह फेरें तो (कुछपरवाह (नहींअल्लाह फ़सादी लोगों को खूब जानता है ( रसूलतुम (उनसेकहो कि  एहले किताब तुम ऐसी (ठिकाने कीबात पर तो आओ जो हमारे और तुम्हारे दरम्यिान यकसा है कि खुदा के सिवा किसी की इबादत  करें और किसी चीज़ को उसका शरीक  बुलाएं और अल्लाह के सिवा हममें से कोई किसी को अपना परवरदिगार  बनाए अगर इससे भी मुँह मोडे़ं तो तुम गवाह रहना हम (अल्लाह केफ़रमाबरदार हैं
 एहले किताब तुम इबराहीम के बारे में (ख़्वाह मा ख़्वाहक्यों झगड़ते हो कि कोई उनको नसरानी कहता है कोई यहूदी हालांकि तौरेत  इन्जील (जिनसे यहूद  नसारा की इब्तेदा है वहतो उनके बाद ही नाज़िल हुई
तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते? ( लो अरेतुम वही एहमक़ लोग हो कि जिस का तुम्हें कुछ इल्म था उसमें तो झगड़ा कर चुके (खै़रफिर तब उसमें क्या (ख्व़ाह मा ख़्वाहझगड़ने बैठे हो जिसकी (सिरे सेतुम्हें कुछ ख़बर नहीं और (हकी़क़ते हाल तोखुदा जानता है और तुम नहीं जानते
इबराहीम  तो यहूदी थे और  नसरानी बल्कि निरे खरे हक़ पर थे (औरफ़रमाबरदार (बन्देथे और मुशरिकोंसे भी  थे
इबराहीम से ज़्यादा ख़ुसूसियत तो उन लोगों को थी जो ख़ास उनकी पैरवी करते थे और उस पैग़म्बर और ईमानदारों को (भीहै और मोमिनीन का अल्लाह मालिक है  
(मुसलमानोएहले किताब से एक गिरोह ने बहुत चाहा कि किसी तरह तुमको राहेरास्त से भटका दे हालांकि वह (अपनी तदबीरों से तुमको तो नहीं मगरअपने ही को भटकाते हैं
और उसको समझते (भीनहीं  एहले किताब तुम अल्लाह की आयतों से क्यों इन्कार करते होहालांकि तुम ख़ुद गवाह बन सकते हो
 अहले किताब तुम क्यो हक़  बातिल को गड़बड़ करते और हक़ को छुपाते हो हालांकि तुम जानते हो
और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों सेकहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुयी है उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक़्त इन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन सेफिर जाए
और तुम्हारे दीन की पैरवरी करे उसके सिवा किसी दूसरे की बात का ऐतबार  करो ( रसूलतुम कह दो कि बस अल्लाह ही की हिदायत तो हिदायत है (यहूदी बाहम ये भी कहते हैं किउसको भी  (माननाकि जैसा (उम्दा दीनतुमको दिया गया हैवैसा किसी और को दिया जाय या तुमसे कोई शख़्स अल्लाह के यहाँ झगड़ा करे ( रसूल तुम उनसेकह दो कि (ये क्या ग़लत ख़्याल हैफ़ज़ल ( करमअल्लाह के हाथ में है वह जिसको चाहे दे और अल्लाह बड़ी गुन्जाईश वाला है (और हर शै कोजानता है
जिसको चाहे अपनी रहमत के लिये ख़ास कर लेता है और अल्लाह बड़ा फ़ज़लों करम वाला हे
और एहले किताब कुछ ऐसे भी हैं कि अगर उनके पास रूपए की ढेर अमानत रख दो तो भी उसे (जब चाहोवैसे ही तुम्हारे हवाले कर देंगे और बाज़ ऐसे हें कि अगर एक अशरफी भी अमानत रखो तो जब तक तुम बराबर (उनके सरपर खड़े  रहोगे तुम्हें वापस  देंगे ये इस वजह से है कि उन का तो ये क़ौल है कि (अरब केजाहिलो (का हक़ मार लेनेमें हम पर कोई इल्ज़ाम की राह ही नहीं और जान बूझ कर खुदा पर झूठ (तूफ़ानजोड़ते हैं
हाँ (अलबत्ताजो शख़्स अपने अहद को पूरा करे और परहेज़गारी इख़्तेयार करे तो बेशक अल्लाह परहेज़गारों को दोस्त रखता है
बेशक जो लोग अपने अहद और (क़समेजो अल्लाह (से किया था उसकेबदले थोड़ा (दुनयावीमुआवेज़ा ले लेते हैं उन ही लोगों के वास्ते आख़िरत में कुछ हिस्सा नहीं और क़यामत के दिन अल्लाह उनसे बात तक तो करेगा नहीं ओर  उनकी तरफ़ नज़र (रहमतही करेगा और  उनको (गुनाहों की गन्दगी सेपाक करेगा और उनके लिये दर्दनाक अज़ाब है
और एहले किताब से बाज़ ऐसे ज़रूर हैं कि किताब (तौरेतमें अपनी ज़बाने मरोड़ मरोड़ के (कुछ का कुछपढ़ जाते हैं ताकि तुम ये समझो कि ये किताब का जुज़ है हालांकि वह किताब का जुज़ नहीं और कहते हैं कि ये (जो हम पढ़ते हैंअल्लाह के यहाँ से (उतराहै हालांकि वह अल्लाह के यहाँ से नहीं (उतराऔर जानबूझ कर अल्लाह पर झूठ (बोहतानजोड़ते हैं  
किसी आदमी को ये ज़ेबा  था कि अल्लाह तो उसे (अपनीकिताब और हिकमत और नबूवत अता फ़रमाए और वह लोगों से कहता फिरे कि अल्लाह को छोड़कर मेरे बन्दे बन जाओ बल्कि (वह तो यही कहेगा कितुम अल्लाह वाले बन जाओ क्योंकि तुम तो (हमेशाकिताबे अल्लाह (दूसरोको पढ़ाते रहते हो और तुम ख़ुद भी सदा पढ़ते रहे हो
और वह तुमसे ये तो (कभी कहेगा कि फ़रिश्तों और पैग़म्बरों को अल्लाह बना लो भला (कहीं ऐसा हो सकता है कितुम्हारे मुसलमान हो जाने के बाद तुम्हें कुफ्र का हुक्म करेगा   
(और  रसूल वह वक़्त भी याद दिलाओजब अल्लाह ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगै़रहदे उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास उसकी तसदीक़ करे तो (देखोतुम ज़रूर उस पर ईमान लानाऔर ज़रूर उसकी मदद करना (औरअल्लाह ने फ़रमाया क्या तुमने इक़रार कर लिया तुमने मेरे (अहद काबोझ उठा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया इरशाद हुआ (अच्छातो आज के क़ौल  (क़रार केआपस में एक दूसरे के गवाह रहना   
और तुम्हारे साथ मैं भी एक गवाह हॅू फिर उसके बाद जो शख़्स (अपने क़ौल सेमुँह फेरे तो वही लोग बदचलन हैं  
तो क्या ये लोग अल्लाह के दीन के सिवा (कोई और दीनढूढते हैं हालांकि जो (फ़रिश्तेआसमानों में हैं औेर जो (लोगज़मीन में हैं सबने ख़ुशी ख़ुशी या ज़बरदस्ती उसके सामने अपनी गर्दन डाल दी है और (आख़िर सबउसकी तरफ़ लौट कर जाएंगे   
( रसूल उन लोगों सेकह दो कि हम तो अल्लाह पर ईमान लाए और जो किताब हम पर नाज़िल हुयी और जो (सहीफ़ेइबराहीम और इस्माईल और इसहाक़ और याकू़ब और औलादे याकू़ब पर नाज़िल हुये और मूसा और ईसा और दूसरे पैग़म्बरों को जो (जो किताबउनके परवरदिगार की तरफ़ से इनायत हुयी (सब पर ईमान लाएहम तो उनमें से किसी एक में भी फ़क्र नहीं करते  
और हम तो उसी (यकता अल्लाहके फ़रमाबरदार हैं और जो शख़्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख़्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही  किया जाएगा और वह आख़िरत में सख़्त घाटे में रहेगा   
भला अल्लाह ऐसे लोगों की क्योंकर हिदायत करेगा जो इमाने लाने के बाद फिर काफ़िर हो गए हालांकि वह इक़रार कर चुके थे कि पैग़म्बर (आख़िरूज़ज़माबरहक़ हैं और उनके पास वाज़ेह  रौशन मौजिज़े भी  चुके थे और अल्लाह ऐसी हठधर्मी करने वाले लोगों की हिदायत नहीं करता   
ऐसे लोगों की सज़ा यह है कि उनपर अल्लाह और फ़रिश्तों और (दुनिया जहान केसब लोगों की फिटकार हैं   
और वह हमेशा उसी फिटकार में रहेंगे  तो उनके अज़ाब ही में तख़्फ़ीफ़ (कमीकी जाएगी और  उनको मोहलत दी जाएगी
मगर (हांजिन लोगों ने इसके बाद तौबा कर ली और अपनी (ख़राबी कीइस्लाह कर ली तो अलबत्ता अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
जो अपने ईमान के बाद काफ़िर हो बैठे फ़िर (रोज़ बरोज़ अपनाकुफ्र बढ़ाते चले गये तो उनकी तौबा हरगिज़  कु़बूल की जाएगी और यही लोग (पल्ले दरजे केगुमराह हैं   
बेशक जिन लोगों ने कुफ्रइखि़्तयार किया और कुफ्रकी हालत में मर गये तो अगरचे इतना सोना भी किसी की गुलू ख़लासी {छुटकारा पानेमें दिया जाए कि ज़मीन भर जाए तो भी हरगिज़  कु़बूल किया जाएगा यही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उनका कोई मददगार भी  होगा  
(लोगोंजब तक तुम अपनी पसन्दीदा चीज़ों में से कुछ राहे अल्लाह में ख़र्च  करोगे हरगिज़ नेकी के दरजे पर फ़ायज़ नहीं हो सकते और तुम कोई   
सी चीज़ भी ख़र्च करो अल्लाह तो उसको ज़रूर जानता है तौरैत के नाज़िल होने के क़ब्ल याकू़ब ने जो जो चीज़े अपने ऊपर हराम कर ली थीं उनके सिवा बनी इसराइल के लिए सब खाने हलाल थे ( रसूल उन यहूद सेकह दो कि अगर तुम (अपने दावे में सच्चे हो तो तौरेत ले आओ
और उसको (हमारे सामनेपढ़ो फिर उसके बाद भी जो कोई अल्लाह पर झूठ तूफ़ान जोड़े तो (समझ लोकि यही लोग ज़ालिम (हठधर्महैं   
( रसूलकह दो कि अल्लाह ने सच फ़रमाया तो अब तुम मिल्लते इबराहीम (इस्लामकी पैरवी करो जो बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से  थे
लोगों (की इबादतके वास्ते जो घर सबसे पहले बनाया गया वह तो यक़ीनन यही (काबाहै जो मक्के में है बड़ी (खै़र  बरकतवाला और सारे जहान के लोगों का रहनुमा   
इसमें (हुरमत कीबहुत सी वाज़े और रौशन निशानिया हैं (उनमें सेमुक़ाम इबराहीम है (जहाँ आपके क़दमों का पत्थर पर निशान हैऔर जो इस घर में दाख़िल हुआ अमन में  गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ अल्लाह के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कु़दरत हज से इन्कार किया तो (याद रखेकि अल्लाह सारे जहान से बेपरवाह है
( रसूलतुम कह दो कि  अहले किताब खुदा की आयतो से क्यो मुन्किर हुए जाते हो हालांकि जो काम काज तुम करते हो खु़दा को उसकी (पूरीपूरी इत्तेला है
( रसूलतुम कह दो कि  अहले किताब दीदए दानिस्ता (जान बुझ करखुदा की (सीधीराह में (नाहक़ कीकज़ी ढूढो (ढूढके ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खु़दा उससे बेख़बर नहीं है   
 ईमान वालों अगर तुमने एहले किताब के किसी फ़िरके़ का भी कहना माना तो (याद रखो किवह तुमको ईमान लाने के बाद (भीफिर दुबारा काफ़िर बना छोडेंगे  

और (भलातुम क्योंकर काफ़िर बन जाओगे हालांकि तुम्हारे सामने अल्लाह की आयतें (बराबरपढ़ी जाती हैं और उसके रसूल (मोहम्मदभी तुममें (मौजूदहैं और जो शख़्स अल्लाह से वाबस्ता हो वह (तोजरूर सीधी राह पर लगा दिया गया

  ईमान वालों अल्लाह से डरो जितना उससे डरने का हक़ है और तुम (दीनइस्लाम के सिवा किसी और दीन पर हरगिज़  मरना   
और तुम सब के सब (मिलकरअल्लाह की रस्सी मज़बूती से थामे रहो और आपस में (एक दूसरेके फूट  डालो और अपने हाल (ज़ारपर अल्लाह के एहसान को तो याद करो जब तुम आपस में (एक दूसरे केदुश्मन थे तो अल्लाह ने तुम्हारे दिलों में (एक दूसरे कीउलफ़त पैदा कर दी तो तुम उसके फ़ज़ल से आपस में भाई भाई हो गए और तुम गोया सुलगती हुयी आग की भट्टी (दोज़खके लब पर (खडे़थे गिरना ही चाहते थे कि अल्लाह ने तुमको उससे बचा लिया तो अल्लाह अपने एहकाम यू वाजे़ह करके बयान करता है ताकि तुम राहे रास्त पर  जाओ  

और तुमसे एक गिरोह ऐसे (लोगों का भीतो होना चाहिये जो (लोगों कोनेकी की तरफ़ बुलाए अच्छे काम का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके और ऐसे ही लोग (आख़ेरत मेंअपनी दिली मुरादें पायेंगे

औेर तुम (कहींउन लोगों के ऐसे  हो जाना जो आपस में फूट डाल कर बैठ रहे और रौशन (दलीलआने के बाद भी एक मुँह एक ज़बान  रहे और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा (भारीअज़ाब है
(उस दिन से डरोजिस दिन कुछ यू लोगों के चेहरे तो सफेद नूरानी होंगे और कुछ (लोगोके चेहरे सियाह जिन लोगों के मुहॅ में कालिक होगी (उनसे कहा जायेगाहाए क्यों तुम तो इमान लाने के बाद काफ़िर हो गए थे अच्छा तो (लो) (अबअपने कुफ्र की सज़ा में अज़ाब (के मजे़चखो   
और जिनके चेहरे पर नूर बरसता होगा वह तो अल्लाह की रहमत (बहिश्तमें होंगे (औरउसी में सदा रहेंगे   
( रसूलये अल्लाह की आयतें हैं जो हम तुमको ठीक (ठीकपढ़ के सुनाते हैं और अल्लाह सारे जहांन के लोगों (से किसीपर जु़ल्म करना नहीं चाहता   
और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (सबअल्लाह ही का है और (आख़िरसब कामों की रूज़ु अल्लाह ही की तरफ़ है

तुम क्या अच्छे गिरोह हो कि (लोगों कीहिदायत के वास्ते पैदा किये गए हो तुम (लोगों कोअच्छे काम का हुक्म करते हो और बुरे कामों से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो और अगर एहले किताब भी (इसी तरहईमान लाते तो उनके हक़ में बहुत अच्छा होता उनमें से कुछ ही तो इमानदार हैं और अक्सर बदकार   
(मुसलमानोंये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नही पहुचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुचेगी  
और जहाँ कहीं हत्ते चढ़े उनपर रूसवाई की मार पड़ी मगर अल्लाह के अहद (याऔर लोगों के अहद के ज़रिये से (उनको कहीं पनाह मिल गयीऔर फिर हेरफेर के खुदा के गज़ब में पड़ गए और उनपर मोहताजी की मार (अलगपड़ी ये (क्योंइस सबब से कि वह अल्लाह की आयतों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करते थे ये सज़ा उसकी है कि उन्होंने नाफ़रमानी की और हद से गुज़र गए थे   
और ये लोग भी सबके सब यकसा नहीं हैं (बल्किएहले किताब से कुछ लोग तो ऐसे हैं कि (अल्लाह के दीन परइस तरह साबित क़दम हैं कि रातों को अल्लाह की आयतें पढ़ा करते हैं और वह बराबर सजदे किया करते हैं  

खुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं और अच्छे काम का तो हुक्म करते हैं और बुरे कामों से रोकते हैं और नेक कामों में दौड़ पड़ते हैं और यही लोग तो नेक बन्दों से हैं  

और वह जो कुछ नेकी करेंगे उसकी हरगिज़ नाक़द्री  की जाएगी और अल्लाह परहेज़गारों से खू़ब वाक़िफ़ है   
बेशक जिन लोगों ने कुफ्रइख़्तेयार किया अल्लाह (के अज़ाबसे बचाने में हरगिज़  उनके माल ही कुछ काम आएंगे  उनकी औलाद और यही लोग जहन्नुमी हैं और हमेशा उसी में   
दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में ये लोग जो कुछ (ख़िलाफ़े शराख़र्च करते हैं उसकी मिसाल अन्धड़ की मिसाल है जिसमें बहुत पाला हो और वह उन लोगों के खेत पर जा पड़े जिन्होंने (कुफ्र की वजह सेअपनी जानों पर सितम ढाया हो और फिर पाला उसे मार के (नास कर देऔर अल्लाह ने उनपर जुल्म कुछ नहीं किया बल्कि उन्होंने आप अपने ऊपर जु़ल्म किया   
 ईमानदारों अपने (मोमिनीनके सिवा (गै़रो कोअपना राज़दार  बनाओ (क्योंकिये गै़र लोग तुम्हारी बरबादी में कुछ (कसरउठा नहीं रखेंगे (बल्कि जितना ज़्यादा तकलीफ़में पड़ोगे उतना ही ये लोग ख़ुश होंगे दुश्मनी तो उनके मुह से टपकती है और जो (बुग़ज़  हसदउनके दिलों में भरा है वह कहीं उससे बढ़कर है हमने तुमसे (अपनेएहकाम साफ़ साफ़ बयान कर दिये अगर तुम समझ रखते हो   
 लोगों तुम ऐसे (सीधेहो कि तुम उनसे उलफ़त रखतो हो और वह तुम्हें (ज़रा भीनहीं चाहते और तुम तो पूरी किताब (अल्लाहपर ईमान रखते हो और वह ऐसे नहीं हैं (मगरजब तुमसे मिलते हैं तो कहने लगते हैं कि हम भी ईमान लाए और जब अकेले में होते हैं तो तुम पर गुस्से के मारे उॅगलिया काटते हैं ( रसूलतुम कह दो कि (काटना क्यातुम अपने गुस्से में जल मरो जो बातें तुम्हारे दिलों में हैं बेशक अल्लाह ज़रूर जानता है  
( ईमानदारोंअगर तुमको भलाई छू भी गयी तो उनको बुरा मालूम होता है और जब तुम पर कोई भी मुसीबत पड़ती है तो वह ख़ुश हो जाते हैं और अगर तुम सब्र करो और परहेज़गारी इख़्तेयार करो तो उनका फ़रेब तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुचाएगा (क्योंकिअल्लाह तो उनकी कारस्तानियों पर हावी है
और ( रसूलएक वक़्त वो भी था जब तुम अपने बाल बच्चों से तड़के ही निकल खड़े हुए और मोमिनीन को लड़ाई के मोर्चों पर बिठा रहे थे और खुदा सब कुछ जानता औेर सुनता है   
ये उस वक़्त का वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि पसपाई करें और फिर (सभल गएक्योंकि अल्लाह तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये

यक़ीनन अल्लाह ने जंगे बदर में तुम्हारी मदद की (बावजूद केतुम (दुश्मन के मुक़ाबले मेंबिल्कुल बे हक़ीक़त थे (फिर भीअल्लाह ने फतेह दी   
बस तुम अल्लाह से डरते रहो ताकि (उनकेधन्यवादगुज़ार बनो ( रसूलउस वक़्त तुम मोमिनीन से कह रहे थे कि क्या तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं है कि तुम्हारा परवरदिगार तीन हज़ार फ़रिश्ते आसमान से भेजकर तुम्हारी मदद करे हाँ (ज़रूर काफ़ी है
बल्कि अगर तुम साबित क़दम रहो और (रसूल की मुख़ालेफ़त सेबचो और कुफ़्फ़ार अपने (जोश मेंतुमपर चढ़ भी आये तो तुम्हारा परवरदिगार ऐसे पांच हज़ार फ़रिश्तों से तुम्हारी मदद करेगा जो निशाने जंग लगाए हुए डटे होंगे और अल्लाह ने ये मदद सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के लिए की है  
और ताकि इससे तुम्हारे दिल की ढारस हो और (ये तो ज़ाहिर है किमदद जब होती है तो अल्लाह ही की तरफ़ से जो सब पर ग़ालिब (औरहिकमत वाला है   
(और यह मदद की भी तोइसलिए कि काफ़िरों के एक गिरोह को कम कर दे या ऐसा चैपट कर दे कि (अपना सामुँह लेकर नामुराद अपने घर वापस चले जायें   
( रसूलतुम्हारा तो इसमें कुछ बस नहीं चाहे अल्लाह उनकी तौबा कु़बूल करे या उनको सज़ा दे क्योंकि वह ज़ालिम तो ज़रूर हैं  

और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब अल्लाह ही का है जिसको चाहे बख़्शे और जिसको चाहे सज़ा करे और अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है

 ईमानदारों सूद दूनादून खाते  चले जाओ और अल्लाह से डरो कि तुम छुटकारा पाओ

और जहन्नुम की उस आग से डरो जो काफ़िरों के लिए तैयार की गयी है
और अल्लाह और रसूल की फ़रमाबरदारी करो ताकि तुम पर रहम किया जाए
और अपने परवरदिगार के (सबबबख़शिश और जन्नत की तरफ़ दौड़ पड़ो जिसकी (वुसअत सारेआसमान और ज़मीन के बराबर है और जो परहेज़गारों के लिये मुहय्या की गयी है  
जो ख़ुशहाली और कठिन वक़्त में भी (अल्लाह की राह परख़र्च करते हैं और गुस्से को रोकते हैं और लोगों (की ख़तासे दरगुज़र करते हैं और नेकी करने वालों से अल्लाह उलफ़त रखता है   
और लोग इत्तिफ़ाक़ से कोई बदकारी कर बैठते हैं या आप अपने ऊपर जु़ल्म करते हैं तो अल्लाह को याद करते हैं और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं और अल्लाह के सिवा गुनाहों का बख़्शने वाला और कौन है और जो (क़ूसूरवह (नागहानीकर बैठे तो जानबूझ कर उसपर हट नहीं करते  
ऐसे ही लोगों की जज़ा उनके परवरदिगार की तरफ़ से बख़शिश है और वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं कि वह उनमे हमेशा रहेंगे और (अच्छेचलन वालों की (भीख़ूब खरी मज़दूरी है  

तुमसे पहले बहुत से वाक़यात गुज़र चुके हैं बस ज़रा रूए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (अपने अपने वक़्त के पैग़म्बरों कोझुठलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ   
ये (जो हमने कहाआम लोगों के लिए तो सिर्फ़ बयान (वाक़याहै मगर और परहेज़गारों के लिए हिदायत  नसीहत है   
और मुसलमानों काहिली  करो और (इसइत्तफ़ाक़ी शिकस्त (ओहद सेकुढ़ो नहीं (क्योंकिअगर तुम सच्चे मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब और वर रहोगे  
अगर (जंगे ओहद मेंतुमको ज़ख़्म लगा है तो उसी तरह (बदर मेंतुम्हारे फ़रीक़ (कुफ़्फ़ार कोभी ज़ख़्म लग चुका है (उस पर उनकी हिम्मत तो  टूटीये इत्तफ़ाक़ाते ज़माना हैं जो हम लोगों के दरमियान बारी बारी उलट फेर किया करते हैं और ये (इत्तफ़ाक़ी शिकस्त इसलिए थीताकि अल्लाह सच्चे ईमानदारों को (ज़ाहिरीमुसलमानों से अलग देख लें और तुममें से बाज़ को दरजाए शहादत पर फ़ायज़ करे और अल्लाह (हुक्मे रसूल सेसरताबी करने वालों को दोस्त नहीं रखता  

और ये (भी मंजू़र थाकि सच्चे ईमानदारों को (साबित क़दमी की वजह सेनिरा खरा अलग कर ले और नाफ़रमानों (भागने वालोंको मटियामेट कर दे

 (मुसलमानोंक्या तुम ये समझते हो कि सब के सब बहिश्त में चले ही जाओगे और क्या अल्लाह ने अभी तक तुममें से उन लोगों को भी नहीं पहचाना जिन्होंने जेहाद किया और  साबित क़दम रहने वालों को ही पहचाना
तुम तो मौत के आने से पहले (लड़ाई मेंमरने की तमन्ना करते थे बस अब तुमने उसको अपन आख से देख लिया और तुम अब भी देख रहे हो   
(फिर लड़ाई से जी क्यों चुराते होऔर मोहम्मद (स०तो सिर्फ रसूल हैं (अल्लाह नहींइनसे पहले बहुतेरे पैग़म्बर गुज़र चुके हैं फिर क्या अगर मोहम्मद अपनी मौत से मर जाए या मार डाले जाए तो तुम उलटे पाँव (अपने कुफ्र की तरफ़पलट जाओगे और जो उलटे पाव फिरेगा (भीतो (समझ लोहरगिज़ अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और अनक़रीब अल्लाह का धन्यवाद करने वालों को अच्छा बदला देगा   
और बगै़र हुक्मे अल्लाह के तो कोई शख़्स मर ही नहीं सकता वक़्ते मुअय्यन तक हर एक की मौत लिखी हुयी है और जो शख़्स (अपने किए काबदला दुनिया में चाहे तो हम उसको इसमें से दे देते हैं और जो शख़्स आख़ेरत का बदला चाहे उसे उसी में से देंगे और (नेअमत ईमान केधन्यवाद करने वालों को बहुत जल्द हम जज़ाए खै़र देंगे   
और (मुसलमानों तुम ही नहींऐसे पैग़म्बर बहुत से गुज़र चुके हैं जिनके साथ बहुतेरे अल्लाह वालों ने (राहे खुदा मेंजेहाद किया और फिर उनको अल्लाह की राह में जो मुसीबत पड़ी है  तो उन्होंने हिम्मत हारी  बोदापन किया (और  दुशमन के सामनेगिड़गिड़ाने लगे और साबित क़दम रहने वालों से अल्लाह उलफ़त रखता है  

और लुत्फ़ ये है कि उनका क़ौल इसके सिवा कुछ  था कि दुआए मांगने लगें कि  हमारे पालने वाले हमारे गुनाह और अपने कामों में हमारी ज़्यादतिया माफ़ कर और दुश्मनों के मुक़ाबले में हमको साबित क़दम रख और काफ़िरों के गिरोह पर हमको फ़तेह दे   
तो अल्लाह ने उनको दुनिया में बदला (दियाऔर अख़ेरत में अच्छा बदला ईनायत फ़रमाया और अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता (हीहै   
 ईमानदारों अगर तुम लोगों ने काफ़िरों की पैरवी कर ली तो (याद रखोवह तुमको उलटे पाव (कुफ्र की तरफ़फेर कर ले जाऐंगे फिर उलटे तुम ही घाटे में  जाओगे  

(तुम किसी की मदद के मोहताज नहींबल्कि अल्लाह तुम्हारा सरपरस्त है और वह सब मददगारों से बेहतर है   
(तुम घबराओ नहींहम अनक़रीब तुम्हारा रोब काफ़िरों के दिलों में जमा देंगे इसलिए कि उन लोगों ने अल्लाह का शरीक बनाया (भी तोउस चीज़ बुत को जिसे अल्लाह ने किसी कि़स्म की हुकूमत नहीं दी और (आख़िरकारउनका ठिकाना दोज़ख़ है और ज़ालिमों का (भी क्याबुरा ठिकाना है  

बेशक खुदा ने (जंगे ओहद में भीअपना (फतेह कावायदा सच्चा कर दिखाया था जब तुम उसके हुक्म से (पहले ही हमले मेंउन (कुफ़्फ़ारको खू़ब क़त्ल कर रहे थे यहाँ तक की तुम्हारे पसन्द की चीज़ (फ़तेहतुम्हें दिखा दी इसके बाद भी तुमने (माले ग़नीमत देखकरबुज़दिलापन किया और हुक्में रसूल (स०) (मोर्चे पर जमे रहनेमें झगड़ा किया और रसूल की नाफ़रमानी की तुममें से कुछ तो तालिबे दुनिया हैं (कि माले ग़नीमत की तरफ़से झुक पड़े और कुछ तालिबे आखेरत (कि रसूल पर अपनी जान फ़िदा कर दीफिर (बुज़दिलेपन नेतुम्हें उन (कुफ़्फ़ारकी की तरफ से फेर दिया (और तुम भाग खड़े हुएउससे अल्लाह को तुम्हारा (इमान अख़लासीआज़माना मंज़ूर था और (इसपर भीअल्लाह ने तुमसे दरगुज़र की और खुदा मोमिनीन पर बड़ा फ़ज़ल करने वाला है   
(मुसलमानों तुमउस वक़्त को याद करके शर्माओ जब तुम (बदहवासभागे पहाड़ पर चले जाते थे और बावजूद दस रसूल  तुम्हारे खुलूस (खड़ेतुमको बुला रहे थेमगर तुम (जान के डर सेकिसी को मुड़ के भी  देखते थे बस (चूकिरसूल को तुमने (आज़ारदाकिया अल्लाह ने भी तुमको (उसरंज की सज़ा में (शिकस्त कारंज दिया ताकि जब कभी तुम्हारी कोई चीज़ हाथ से जाती रहे या कोई मुसीबत पड़े तो तुम रंज  करो और सब्र करना सीखो और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे ख़बरदार है  

फिर अल्लाह ने इस रंज के बाद तुमपर इत्मिनान की हालत तारी की कि तुममें से एक गिरोह का (जो सच्चे ईमानदार थेख़ूब गहरी नींद  गयी और एक गिरोह जिनको उस वक्त भी (भागने की शर्म सेजान के लाले पड़े थे अल्लाह के साथ (ख़्वाह मख़्वाहज़मानाए जिहालत की ऐसी बदगुमानिया करने लगे और कहने लगे भला क्या ये अम्र (फ़तेहकुछ भी हमारे इखि़्तयार में है ( रसूलकह दो कि हर अम्र का इखि़्तयार अल्लाह ही को है (ज़बान से तो कहते ही है नहींये अपने दिलों में ऐसी बातें छिपाए हुए हैं जो तुमसे ज़ाहिर नहीं करते (अब सुनोकहते हैं कि इस अम्र (फ़तेहमें हमारा कुछ इखि़्तायार होता तो हम यहाँ मारे  जाते ( रसूल इनसेकह दो कि तुम अपने घरों में रहते तो जिन जिन की तकदीर में लड़ के मर जाना लिखा था वह अपने (घरों सेनिकल निकल के अपने मरने की जगह ज़रूर  जाते और (ये इस वास्ते किया गयाताकि जो कुछ तुम्हारे दिल में है उसका इम्तिहान कर दे और अल्लाह तो दिलों के राज़ खू़ब जानता है
बेशक जिस दिन (जंगे औहद मेंदो जमाअतें आपस में गुथ गयीं उस दिन जो लोग तुम (मुसलमानोंमें से भाग खड़े हुए (उसकी वजह ये थी किउनके बाज़ गुनाहों (मुख़ालफ़ते रसूलकी वजह से शैतान ने बहका के उनके पाँव उखाड़ दिए और (उसी वक़्त तोअल्लाह ने ज़रूर उनसे दरगुज़र की बेशक अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला बुर्दवार है   
 ईमानदारों उन लोगों के ऐसे  बनो जो काफ़िर हो गए भाई बन्द उनके परदेस में निकले हैं या जेहाद करने गए हैं (और वहाँमर (गएतो उनके बारे में कहने लगे कि वह हमारे पास रहते तो  मरते ओर  मारे जाते (और ये इस वजह से कहते हैंताकि अल्लाह (इस ख़्याल कोउनके दिलों में (बाइसेहसरत बना दे और (यू तोअल्लाह ही जिलाता और मारता है और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसे देख रहा है  
और अगर तुम अल्लाह की राह में मारे जाओ या (अपनी मौत सेमर जाओ तो बेशक अल्लाह की बख़शश और रहमत इस (माल  दौलतसे जिसको तुम जमा करते हो ज़रूर बेहतर है   
और अगर तुम (अपनी मौत सेमरो या मारे जाओ (आख़िरकारअल्लाह ही की तरफ़ (क़ब्रों सेउठाए जाओगे  

(तो  रसूल ये भीअल्लाह की एक मेहरबानी है कि तुम (सानरमदिल (सरदारउनको मिला और तुम अगर बदमिज़ाज और सख़्त दिल होते तब तो ये लोग (अल्लाह जाने कब केतुम्हारे गिर्द से तितर बितर हो गए होते बस (अब भीतुम उनसे दरगुज़र करो और उनके लिए मग़फे़रत की दुआ मांगों और (साबिक़ दस्तूरे ज़ाहिराउनसे काम काज में मशवरा कर लिया करो (मगरइस पर भी जब किसी काम को ठान लो तो अल्लाह ही पर भरोसा रखो (क्योंकि जो लोग अल्लाह पर भरोसा रखते हैं अल्लाह उनको ज़रूर दोस्त रखता है   
(मुसलमानों याद रखोअगर अल्लाह ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुम पर ग़ालिब नहीं  सकता और अगर अल्लाह तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि अल्लाह ही पर भरोसा रखें   
और (तुम्हारा गुमान बिल्कुल ग़लत हैकिसी नबी की (हरगिज़ये शान नहीं कि ख़्यानत करे और ख़्यानत करेगा तो जो चीज़ ख़्यानत की है क़यामत के दिन वही चीज़ (बिलकुल वैसा हीअल्लाह के सामने लाना होगा फिर हर शख़्स अपने किए का पूरा पूरा बदला पाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी   
भला जो शख़्स अल्लाह की ख़ुशनूदी का पाबन्द हो क्या वह उस शख़्स के बराबर हो सकता है जो अल्लाह के गज़ब में गिरफ़्तार हो और जिसका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरा ठिकाना है

वह लोग खुदा के यहाँ मुख़्तलिफ़ दरजों के हैं और जो कुछ वह करते हैं अल्लाह देख रहा है   
अल्लाह ने तो ईमानदारों पर बड़ा एहसान किया कि उनके वास्ते उन्हीं की क़ौम का एक रसूल भेजा जो उन्हें खुदा की आयतें पढ़ पढ़ के सुनाता है और उनकी तबीयत को पाकीज़ा करता है और उन्हें किताबे (अल्लाहऔर अक़्ल की बातें सिखाता है अगरचे वह पहले खुली हुयी गुमराही में पडे़ थे   
मुसलमानों क्या जब तुमपर (जंगे ओहदमें वह मुसीबत पड़ी जिसकी दूनी मुसीबत तुम (कुफ़्फ़ार परडाल चुके थे तो (घबरा केकहने लगे ये (आफ़तक़हाँ से  गयी ( रसूलतुम कह दो कि ये तो खुद तुम्हारी ही तरफ़ से है ( रसूल की मुख़ालेफ़त करते  सज़ा होतीबेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है  
और जिस दिन दो जमाअतें आपस में गुंथ गयीं उस दिन तुम पर जो मुसीबत पड़ी वह तुम्हारी शरारत की वजह से (अल्लाह की इजाजत की वजह से आयीऔर ताकि अल्लाह सच्चे ईमान वालों को देख ले  

और मुनाफ़िक़ों को देख ले (कि कौन हैऔर मुनाफ़िक़ों से कहा गया कि आओ अल्लाह की राह में जेहाद करो या (ये  सही अपने दुशमन कोहटा दो तो कहने लगे (हाए क्या कहींअगर हम लड़ना जानते तो ज़रूर तुम्हारा साथ देते ये लोग उस दिन बनिस्बते ईमान के कुफ्र के ज़्यादा क़रीब थे अपने मुँह से वह बातें कह देते हैं जो उनके दिल में (ख़ाकनहीं होतीं और जिसे वह छिपाते हैं अल्लाह उसे ख़ूब जानता है   
(ये वही लोग हैंजो (आप चैन से घरों में बैठे रहते है और अपने शहीदभाईयों के बारे में कहने लगे काश हमारी पैरवी करते तो  मारे जाते ( रसूलउनसे कहो (अच्छाअगर तुम सच्चे हो तो ज़रा अपनी जान से मौत को टाल दो  

और जो लोग अल्लाह की राह में शहीद किए गए उन्हें हरगिज़ मुर्दा  समझना बल्कि वह लोग जीते जागते मौजूद हैं अपने परवरदिगार की तरफ़ से वह (तरह तरह कीरोज़ी पाते हैं   
और अल्लाह ने जो फ़ज़ल  करम उन पर किया है उसकी (ख़ुशीसे फूले नहीं समाते और जो लोग उनसे पीछे रह गए और उनमें आकर शामिल नहीं हुए उनकी निस्बत ये (ख़्याल करकेख़ुशियां मनाते हैं कि (ये भी शहीद हों तोउनपर  किसी कि़स्म का ख़ौफ़ होगा और  आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे  

अल्लाह नेअमत और उसके फ़ज़ल ( करमऔर इस बात की ख़ुशख़बरी पाकर कि अल्लाह मोमिनीन के सवाब को बरबाद नहीं करता   
निहाल हो रहे हैं (जंगे ओहद मेंजिन लोगों ने जख़्म खाने के बाद भी अल्लाह और रसूल का कहना माना उनमें से जिन लोगों ने नेकी और परहेज़गारी की (सब के लिये नहीं सिर्फउनके लिये बड़ा सवाब है   
यह वह हैं कि जब उनसे लोगों ने आकर कहना शुरू किया कि (दुशमनलोगों ने तुम्हारे (मुक़ाबले केवास्ते (बड़ा लश्करजमा किया है बस उनसे डरते (तो बजाए ख़ौफ़ केउनका ईमान और ज़्यादा हो गया और कहने लगे (होगा भीअल्लाह हमारे वास्ते काफ़ी है   
और वह क्या अच्छा कारसाज़ है फिर (या तो हिम्मत करके गए मगर जब लड़ाई  हुयी तोये लोग अल्लाह की नेअमत और फ़ज़ल के साथ (अपने घरवापस आए और उन्हें कोई बुराई छू भी नहीं गयी और अल्लाह की ख़ुशनूदी के पाबन्द रहे और अल्लाह बड़ा फ़ज़ल करने वाला है   
यह (मुख़बिरबस शैतान था जो सिर्फ़ अपने दोस्तों को (रसूल का साथ देने सेडराता है बस तुम उनसे तो डरो नहीं अगर सच्चे मोमिन हो तो मुझ ही से डरते   
और ( रसूलजो लोग कुफ्र की (मददमें पेश क़दमी कर जाते हैं उनकी वजह से तुम रन्ज  करो क्योंकि ये लोग अल्लाह को कुछ ज़रर नहीं पहुँचा सकते (बल्किअल्लाह तो ये चाहता है कि आख़ेरत में उनका हिस्सा  क़रार दे और उनके लिए बड़ा (सख़्तअज़ाब है   
बेशक जिन लोगों ने इमान के एवज़ कुफ्र ख़रीद किया वह हरगिज़ खुदा का कुछ भी नहीं बिगाड़ेगे (बल्कि आप अपनाऔर उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है

और जिन लोगों ने कुफ्र इखि़्तयार किया वह हरगिज़ ये ख़्याल  करें कि हमने जो उनको मोहलत  बेफिक्री दे रखी है वह उनके हक़ में बेहतर है (हालांकिहमने मोहल्लत  बेफिक्री सिर्फ इस वजह से दी है ताकि वह और ख़ूब गुनाह कर लें और (आख़िर तोउनके लिए रूसवा करने वाला अज़ाब है  
(मुनाफ़िक़ोअल्लाह ऐसा नहीं कि बुरे भले की तमीज़ किए बगैर जिस हालत पर तुम हो उसी हालत पर मोमिनों को भी छोड़ दे और अल्लाह ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें गै़ब की बातें बता दे मगर (हाँअल्लाह अपने रसूलों में जिसे चाहता है (गै़ब बताने के वास्तेचुन लेता है बस अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और अगर तुम ईमान लाओगे और परहेज़गारी करोगे तो तुम्हारे वास्ते बड़ी जज़ाए ख़ैर है  
और जिन लोगों को अल्लाह ने अपने फ़ज़ल ( करमसे कुछ दिया है (और फिरबुख़्ल करते हैं वह हरगिज़ इस ख़्याल में  रहें कि ये उनके लिए (कुछबेहतर होगा बल्कि ये उनके हक़ में बदतर है क्योंकि जिस (मालका बुख़्ल करते हैं अनक़रीब ही क़यामत के दिन उसका तौक़ बनाकर उनके गले में पहनाया जाएगा और सारे आसमान  ज़मीन की मीरास अल्लाह ही की है और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे ख़बरदार है   
जो लोग (यहूदये कहते हैं कि अल्लाह तो कंगाल है और हम बड़े मालदार हैं अल्लाह ने उनकी ये बकवास सुनी उन लोगों ने जो कुछ किया उसको और उनका पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करना हम अभी से लिख लेते हैं और (आज तो जो जी में कहें मगर क़यामत के दिनहम कहेंगे कि अच्छा तो लो (अपनी शरारत के एवज़ मेंजलाने वाले अज़ाब का मज़ा चखो   
ये उन्हीं कामों का बदला है जिनको तुम्हारे हाथों ने (ज़ादे आख़ेरत बना करपहले से भेजा है वरना अल्लाह तो कभी अपने बन्दों पर ज़ुल्म करने वाला नहीं  

(यह वही लोग हैंजो कहते हैं कि अल्लाह ने तो हमसे वायदा किया है कि जब तक कोई रसूल हमें ये (मौजिज़ा दिखा दे कि वह कुरबानी करे और उसको (आसमानीआग आकर चट कर जाए उस वक़्त तक हम ईमान  लाएंगें ( रसूलतुम कह दो कि (भलाये तो बताओ बहुतेरे पैग़म्बर मुझसे क़ब्ल तुम्हारे पास वाजे़  रौशन मौजिज़ात और जिस चीज़ की तुमने (उस वक़्तफ़रमाइश की है (वह भीलेकर आए फिर तुम अगर (अपने दावे मेंसच्चे हो तो तुमने उन्हें क्यों क़त्ल किया
( रसूलअगर वह इस पर भी तुम्हें झुठलाएं तो (तुम आज़ुर्दा  हो क्योंकितुमसे पहले भी बहुत से पैग़म्बर रौशन मौजिज़े और सहीफे़ और नूरानी किताब लेकर  चुके हैं (मगरफिर भी लोगों ने आख़िर झुठला ही छोड़ा

हर जान एक  एक (दिनमौत का मज़ा चखेगी और तुम लोग क़यामत के दिन (अपने किए कापूरा पूरा बदला भर पाओगे बस जो शख़्स जहन्नुम से हटा दिया गया और बहिश्त में पहुचा दिया गया बस वही कामयाब हुआ और दुनिया की (चन्द रोज़ाज़िन्दगी धोखे की टट्टी के सिवा कुछ नहीं
(मुसलमानोंतुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे अल्लाह दी जा चुकी है (यहूद  नसाराउनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों कोझेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है
और ( रसूलइनको वह वक़्त तो याद दिलाओ जब अल्लाह ने एहले किताब से एहद  पैमान लिया था कि तुम किताबे अल्लाह को साफ़ साफ़ बयान कर देना और (ख़बरदारउसकी कोई बात छुपाना नहीं मगर इन लोगों ने (ज़रा भी ख़्याल  कियाऔर उनको बसे पुश्त फेंक दिया और उसके बदले में (बसथोड़ी सी क़ीमत हासिल कर ली बस ये क्या ही बुरा (सौदाहै जो ये लोग ख़रीद रहे हैं
( रसूलतुम उन्हें ख़्याल में भी  लाना जो अपनी कारस्तानी पर इतराए जाते हैं और किया कराया ख़ाक नहीं (मगरतारीफ़ के ख़ास्तगार {चाहतेहैं बस तुम हरगिज़ ये ख़्याल  करना कि इनको अज़ाब से छुटकारा है बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है

और आसमान  ज़मीन सब अल्लाह ही का मुल्क है और अल्लाह ही हर चीज़ पर क़ादिर है   
इसमें तो शक ही नहीं कि आसमानों और ज़मीन की पैदाइश और रात दिन के फेर बदल में अक़्लमन्दों के लिए (क़ुदरत अल्लाह कीबहुत सी निशानिया हैं  
जो लोग उठते बैठते करवट लेते (अलगरज़ हर हाल मेंअल्लाह का ज़िक्र करते हैं और आसमानों और ज़मीन की बनावट में ग़ौर  फ़िक्र करते हैं और (बेसाख़्ताकह उठते हैं कि अल्लाहवन्दा तूने इसको बेकार पैदा नहीं किया तू (फेले अबस सेपाक  पाकीज़ा है बस हमको दोज़ख़ के अज़ाब से बचा   
 हमारे पालने वाले जिसको तूने दोज़ख़ में डाला तो यक़ीनन उसे रूसवा कर डाला और जु़ल्म करने वाले का कोई मददगार नहीं  
 हमारे पालने वाले (जबहमने एक आवाज़ लगाने वाले (पैग़म्बरको सुना कि वह (ईमान के वास्ते यू पुकारता थाकि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए बस  हमारे पालने वाले हमें हमारे गुनाह बख़्श दे और हमारी बुराईयों को हमसे दूर करे दे और हमें नेकों के साथ (दुनिया सेउठा ले   
और  पालने वाले अपने रसूलों की मारफ़त जो कुछ हमसे वायदा किया है हमें दे और हमें क़यामत के दिन रूसवा  कर तू तो वायदा ख़िलाफ़ी करता ही नहीं  

तो उनके परवरदिगार ने दुआ कु़बूल कर ली और (फ़रमायाकि हम तुममें से किसी काम करने वाले के काम को अकारत नहीं करते मर्द हो या औरत (इस में कुछ किसी की खु़सूसियत नहीं क्योंकितुम एक दूसरे (की जिन्ससे हो जो लोग (हमारे लिए वतन आवारा हुएऔर शहर बदर किए गए और उन्होंने हमारी राह में अज़ीयतें उठायीं और (कुफ़्फ़र सेजंग की और शहीद हुए मैं उनकी बुराईयों से ज़रूर दरगुज़र करूंगा और उन्हें बेहिश्त के उन बाग़ों में ले जाऊॅगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं अल्लाह के यहाँ ये उनके किये का बदला है और अल्लाह (ऐसा ही है कि उसके यहाँ तो अच्छा ही बदला है   
( रसूलकाफ़िरों का शहरो शहरो चैन करते फिरना तुम्हे धोखे में  डाले  
ये चन्द रोज़ा फ़ायदा हैं फिर तो (आख़िरकारउनका ठिकाना जहन्नुम ही है और क्या ही बुरा ठिकाना है  मगर जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की परहेज़गारी (इख़्तेयार की उनके लिए बेहिश्त केवह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारीं हैं और वह हमेशा उसी में रहेंगे ये अल्लाह की तरफ़ से उनकी (दावत है और जो साज़ो सामानअल्लाह के यहाँ है वह नेको कारों के वास्ते दुनिया से कहीं बेहतर है

और एहले किताब में से कुछ लोग तो ऐसे ज़रूर हैं जो अल्लाह पर और जो (किताबतुम पर नाज़िल हुयी और जो (किताबउनपर नाज़िल हुयी (सब परईमान रखते हैं अल्लाह के आगे सर झुकाए हुए हैं और अल्लाह की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फ़ायदेनहीं लेते ऐसे ही लोगों के वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अच्छा बदला है बेशक अल्लाह बहुत जल्द हिसाब करने वाला है
 ईमानदारों (दीन की तकलीफ़ों कोझेल जाओ और दूसरों को बर्दाश्त की तालीम दो और (जिहाद के लिएकमरें कस लो और अल्लाह ही से डरो ताकि तुम अपनी दिली मुराद पाओ

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Surah Al Imrn hindi mein watch on YouTube rahe najat channelhttps://youtu.be/LNr2TSGda2w






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